चार विकास काल
(1) स्पर्शोन्मुख चरण या उपनैदानिक चरण: प्रक्रिया की लंबाई अलग-अलग होती है, जिसमें प्रारंभिक रोग/रोग परिवर्तन से लेकर माई/दलिया/यिन मेनोरिया का गठन शामिल है, लेकिन अंग या ऊतक की भागीदारी की कोई नैदानिक अभिव्यक्ति नहीं होती है।
(2) खून की कमी/अवस्था: अंग/अवयव के लक्षण/रक्तवाहिकाओं के सिकुड़ने से खून की कमी होना।
(3) टूटा/मृत/चरण: संवहनी आपातकाल के कारण अंग ऊतक टूट/मृत हो जाता है // यौन रक्त ट्यूब/गुहा/बंद/अवरुद्ध हो जाता है।
(4) फाइबर/अध: पतन चरण: लंबे समय तक/रक्त की कमी, अंग ऊतक फाइबर/आयाम/अध: पतन/शोष लक्षणों के कारण होता है।